भिलाई, छत्तीसगढ़ — वैशाली नगर स्थित कैनरा बैंक में सामने आए 111 म्यूल अकाउंट मामले में दुर्ग पुलिस को बड़ी सफलता मिली है। एक महिला के खाते में 5 करोड़ रुपए के संदिग्ध ट्रांजैक्शन के बाद शुरू हुई जांच ने एक बड़े ऑनलाइन सट्टा रैकेट का पर्दाफाश कर दिया है।
जांच के दौरान पुलिस को पता चला कि कुछ लोग अपने बैंक खाते 20 हजार रुपए में बेच रहे थे, जिनका इस्तेमाल क्रिकेट सट्टा और अन्य अवैध गतिविधियों के लिए किया जा रहा था। इस मामले में 12 लोगों को गिरफ्तार किया गया है, जिनमें 8 खाताधारक भी शामिल हैं।
एडिशनल एसपी पद्मश्री तंवर ने बताया कि कैनरा बैंक के मैनेजर की रिपोर्ट पर जांच शुरू की गई थी। शुरुआती पूछताछ में सामने आया कि मोनू नाम का व्यक्ति भिलाई से खाते खरीदकर देहरादून भेजता था। देहरादून में आरोपी तो नहीं मिला, लेकिन बिहार निवासी नीतीश कुमार पकड़ा गया, जो ऑनलाइन सट्टे का मुख्य खाईवाल निकला।
नीतीश ने खुलासा किया कि वह दीपक कुमार नामक अन्य आरोपी के साथ मिलकर कई सट्टा पैनल (जैसे लोटस, बप्पा, रामजनो, गोविंदा) चला रहा था। नीतीश के पास से पुलिस ने 3 लैपटॉप, 3 मोबाइल, 1 कार, 9 एटीएम कार्ड, 8 पासपोर्ट और 2 चेकबुक जब्त की हैं।
म्यूल अकाउंट क्या होता है?
म्यूल अकाउंट वो बैंक खाता होता है, जो किसी व्यक्ति के नाम पर तो होता है, लेकिन उसका उपयोग अपराधी अवैध लेन-देन के लिए करते हैं।
क्या खाता बेचने वाले भी दोषी हैं?
हां, अपने खाते बेचने वालों को भी गिरफ्तार किया गया है। यह अपराध में प्रत्यक्ष सहयोग माना जाता है और भारतीय कानून के अनुसार सज़ा योग्य अपराध है।
बैंक की भूमिका क्या रही?
बैंक ने संदिग्ध लेनदेन की जानकारी समय रहते पुलिस को दी, जिससे इस साइबर फ्रॉड का खुलासा हुआ। जांच में बैंक की सतर्कता सामने आई है।