कटघोरा (कोरबा)। नीलगिरी वृक्षों की अवैध कटाई के बाद अब कटघोरा नगर पालिका क्षेत्र में एक और गंभीर मामला सामने आया है, जिसे स्थानीय लोग ‘सागौन कांड’ के नाम से पुकार रहे हैं। इस बार बहुमूल्य सागौन वृक्षों की अवैध कटाई कर पर्यावरणीय संतुलन को गहरा आघात पहुँचाया गया है। चौंकाने वाली बात यह है कि पूरे मामले में वन विभाग अब तक खामोश बैठा हुआ है, जिससे प्रशासन की भूमिका पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं।
गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के नेता लाल बहादुर कोराम ने इस मामले को उजागर करते हुए कटघोरा के अनुविभागीय अधिकारी राजस्व को लिखित शिकायत सौंपकर त्वरित कार्रवाई की मांग की है। कोराम का आरोप है कि कटघोरा निवासी पवन अग्रवाल ने न्यायालय में वृक्षों की कटाई की अनुमति के लिए आवेदन किया था, लेकिन अंतिम अनुमति और आपत्तियों की सुनवाई से पहले ही लगभग 35 सागौन और 5 अन्य वृक्षों की अवैध कटाई कर दी गई।
मामले में सबसे गंभीर पहलू यह है कि 29 मई को न्यायालय द्वारा जारी सार्वजनिक सूचना में स्पष्ट रूप से 2 जून तक आपत्तियाँ दर्ज कराने की समय-सीमा तय की गई थी। इसके बावजूद वृक्षों की जल्दबाज़ी में कटाई कर दी गई और बहुमूल्य इमारती लकड़ियाँ भी मौके से गायब कर दी गईं। स्थल पर कटाई के ताजा चिन्ह, डंठल और पत्तियाँ अभी भी मौजूद हैं, जो अवैधता की पुष्टि करते हैं।
लाल बहादुर कोराम ने प्रशासन से मांग की है कि पवन अग्रवाल के विरुद्ध आपराधिक प्रकरण दर्ज किया जाए, कटाई की अनुमति तत्काल निरस्त की जाए और संपूर्ण मामले की निष्पक्ष जांच की जाए। उन्होंने चेताया कि यदि तत्काल जांच नहीं हुई तो सबूत मिटाने की कोशिशें की जा सकती हैं।
पर्यावरणीय लापरवाही और प्रशासनिक निष्क्रियता
यह मामला केवल कानूनी उल्लंघन नहीं, बल्कि वन संपदा के दोहन और पर्यावरणीय असंतुलन का प्रतीक बन गया है। लगातार हो रही वृक्ष कटाई से यह स्पष्ट है कि स्थानीय स्तर पर न तो पर्यावरण संरक्षण को गंभीरता से लिया जा रहा है और न ही संबंधित विभाग सक्रिय भूमिका निभा रहा है। वन विभाग की चुप्पी इस पूरे प्रकरण को और अधिक संदेहास्पद बना रही है।
अब देखने वाली बात यह होगी कि क्या प्रशासन इस मामले में समय रहते ठोस कदम उठाएगा या यह प्रकरण भी पहले की तरह कागज़ों में दफन होकर रह जाएगा। वहीं, न्यायालय की भूमिका भी इस अवैध कटाई पर सख्त रुख अपनाने को लेकर महत्वपूर्ण होगी