पाठशालाओं में जब बजेगी घण्टी, होगी स्कूलों में शिक्षकों की गारंटी
युक्तियुक्तकरण से शिक्षकों की नई तैनाती, अब शिक्षा की नई रोशनी हर गाँव तक
टन... टन.. टन... घण्टी की यह आवाज अब फिर से प्रदेश के स्कूलों में गूंजेगी। ग्रीष्मावकाश के बाद जब बच्चे स्कूल लौटेंगे, तो उनके साथ लौटेगी उम्मीदों की एक नई सुबह। इस बार न सिर्फ क, ख, ग और ए, बी, सी, डी की गूंज सुनाई देगी, बल्कि दूरस्थ अंचलों में वर्षों से सूने पड़े कक्षा-कक्षों में भी पढ़ाई की रौनक लौटेगी। मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में राज्य सरकार ने मोदी की गारंटी को पूरा करने की दिशा में बड़ा और क्रांतिकारी कदम उठाया है—प्रदेश के शिक्षकविहीन और एकलशिक्षकीय विद्यालयों में अब नियमित शिक्षकों की नियुक्ति कर दी गई है।
शिक्षकविहीन स्कूलों में लौटी उम्मीदयुक्तियुक्तकरण से शिक्षा में क्रांति
प्रदेशभर के करीब 453 ऐसे विद्यालय जो अब तक शिक्षकविहीन थे, उनमें से 446 में अब नियमित शिक्षक पदस्थ कर दिए गए हैं। इसके अलावा 5936 एकलशिक्षकीय विद्यालयों में से 4721 विद्यालयों को दो या अधिक शिक्षकों की सौगात मिली है। यह सब संभव हुआ है युक्तियुक्तकरण की उस प्रभावी प्रक्रिया से, जिसमें अतिशेष शिक्षकों को आवश्यकता वाले स्कूलों में समायोजित किया गया है।
अब नहीं होगी विज्ञान, गणित, अंग्रेजी में कमजोरी
शिक्षकों की इस नई तैनाती से अब विद्यार्थियों को गणित, भौतिकी, रसायन, जीवविज्ञान और अंग्रेजी जैसे विषयों में भी कठिनाइयों का सामना नहीं करना पड़ेगा। पहले जहाँ स्कूल में विषय रहते थे लेकिन शिक्षक नहीं होते थे, अब वहाँ विषय-विशेषज्ञ व्याख्याता उपलब्ध होंगे। इससे छात्रों को न केवल मार्गदर्शन मिलेगा, बल्कि वे उच्च शिक्षा में भी विज्ञान और गणित जैसे कठिन समझे जाने वाले विषयों को अपनाने में रुचि दिखा सकेंगे।
समय पर पूरा होगा पाठ्यक्रम, बनेगी मजबूत नींव
शिक्षकों की पर्याप्त उपलब्धता से न केवल शिक्षण कार्य नियमित होगा, बल्कि सभी कालखंड पूरे होंगे और पाठ्यक्रम समय पर पूरा किया जा सकेगा। इससे विद्यार्थियों की समझ में निरंतरता आएगी और परीक्षा की तैयारी भी बेहतर होगी। विशेषकर दूरस्थ और आदिवासी क्षेत्रों के विद्यार्थियों के लिए यह एक बड़ी राहत और सुनहरा अवसर है।
बस्तर से सरगुजा तक शिक्षक पहुँचे—हर गाँव में शिक्षा का उजाला
बस्तर संभाग के अंतर्गत बस्तर, बीजापुर, नारायणपुर, सुकमा, कोंडागांव जैसे जिलों के साथ-साथ सरगुजा, रायगढ़, गरियाबंद, महासमुंद, मोहला-मानपुर, बलरामपुर जैसे जिलों के सैकड़ों स्कूलों में अब शिक्षकों की पदस्थापना हो चुकी है। गरीब और अनुसूचित जनजातीय वर्ग के छात्रों की पढ़ाई अब बाधित नहीं होगी, बल्कि नई ऊर्जा और संसाधनों के साथ आगे बढ़ेगी।
सरकार की प्राथमिकता में शिक्षा
मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय द्वारा शपथ ग्रहण के बाद लिए गए निर्णयों में शिक्षा व्यवस्था को सुधारने की पहल उल्लेखनीय रही है। पहले ही कैबिनेट बैठक में पीएम आवास, धान खरीदी, तेन्दूपत्ता मूल्यवृद्धि और किसानों को बोनस जैसी गारण्टी को लागू करने के बाद अब शिक्षा की दिशा में यह बड़ा कदम उठाया गया है।
नवाचार और निष्ठा से शिक्षकों की तैनाती
स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा किए गए विस्तृत परीक्षण और नियोजन से यह स्पष्ट हुआ कि राज्य में शिक्षकों की तैनाती में असंतुलन था। कहीं कम विद्यार्थी पर अधिक शिक्षक थे तो कहीं विषय शिक्षक की भारी कमी। युक्तियुक्तकरण ने इस असंतुलन को दूर किया है, जिससे अब स्कूलों में बेहतर शैक्षणिक वातावरण तैयार होगा।
पालकों में जगी नई उम्मीद
अब जब शिक्षकों की नियुक्ति हो चुकी है, तो पालकों की आंखों में अपने बच्चों के भविष्य को लेकर एक नई चमक है। वे निश्चिंत होकर अपने बच्चों को स्कूल भेज सकेंगे, यह जानते हुए कि वहाँ शिक्षकों की उपस्थिति सुनिश्चित है।
निष्कर्ष:
शिक्षा केवल किताबों तक सीमित नहीं होती, बल्कि यह उस विश्वास का नाम है जो एक पालक अपने बच्चे को स्कूल भेजते समय रखता है। राज्य सरकार के इस ऐतिहासिक निर्णय से यह विश्वास अब और मजबूत हुआ है।
अब जब घण्टी बजेगी, तो केवल समय की नहीं, बल्कि शिक्षा की गारंटी की आवाज भी गूंजेगी।
CG ई खबर प्रमुख संपादक
ओम प्रकाश पटेल
(विशेष संवाददाता)