रिपोर्ट: ओम प्रकाश पटेल, प्रमुख संपादक
कोरबा (CG ई खबर)
एसईसीएल दीपका परियोजना अंतर्गत कार्यरत कलिंगा कंपनी के खिलाफ सोमवार सुबह से ग्रामीणों का आक्रोश फूट पड़ा। प्रभावित क्षेत्र के सैकड़ों ग्रामीण सुबह 5 बजे से कंपनी गेट के सामने भूख हड़ताल पर बैठ गए। उनकी मांग है कि स्थानीय प्रभावितों को रोजगार में प्राथमिकता दी जाए।
प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि कंपनी बाहरी लोगों को तरजीह दे रही है जबकि स्थानीय युवा बेरोजगारी की मार झेल रहे हैं। ग्रामीणों की मांग है कि कंपनी में कार्यरत कर्मचारियों की सूची सार्वजनिक की जाए और जब तक प्रभावित लोगों को समुचित रोजगार नहीं मिलता, आंदोलन जारी रहेगा।
हड़ताल की गंभीरता को देखते हुए कटघोरा विधायक प्रेमचंद पटेल और जिला पंचायत उपाध्यक्ष प्रतिनिधि मुकेश जायसवाल मौके पर पहुंचे। वहीं, कलिंगा कंपनी के जीएम विकास दुबे, एसईसीएल अधिकारी श्री मुखर्जी सहित कई अधिकारियों ने ग्रामीणों से चर्चा की।
जीएम विकास दुबे ने बताया कि कंपनी में 50% स्थानीय और 50% बाहरी श्रमिक रखे गए हैं, लेकिन ग्रामीणों का आरोप है कि यह आंकड़ा गलत है और स्थानीयों की हिस्सेदारी महज 30% ही है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि बाहरी लोगों को भगाने की मांग नहीं है, परंतु पहले रोजगार प्रभावितों को मिले, यह उनका अधिकार है।
बैठक के बाद निर्णय लिया गया कि कल (मंगलवार) से प्रभावित क्षेत्र के ड्राइवर व ऑपरेटरों को ट्रायल के बाद ड्यूटी पर लिया जाएगा और यह प्रक्रिया निरंतर जारी रहेगी। जनप्रतिनिधियों और ग्रामीणों की सहमति से फिलहाल हड़ताल को स्थगित कर दिया गया है।
ग्रामीणों की चेतावनी स्पष्ट है—अगर वादों पर अमल नहीं हुआ, तो अगली बार आंदोलन और भी उग्र रूप लेगा।
प्रभावित क्षेत्र के सैकड़ों ग्रामीणों की उपस्थिति ने यह जता दिया है कि अब रोजगार की मांग को टाला नहीं जा सकता।