कोरबा/छत्तीसगढ़ |(CG ई खबर छत्तीसगढ़ राज्य ब्यूरो चीफ : ओम प्रकाश पटेल) कोयला उत्खनन के नाम पर एसईसीएल (SECL) गेवरा क्षेत्र द्वारा ग्राम अमगांव में भू-विस्थापित परिवार की निजी भूमि पर बने रिहायशी मकान और श्री कामदगिरी उद्यान को बिना पूर्व सूचना और बिना अतिरिक्त मुआवज़ा दिए ध्वस्त कर दिया गया। इस मनमानी कार्रवाई को लेकर भू-विस्थापित परिवारों में आक्रोश है।
शनिवार को प्रेस क्लब तिलक भवन में आयोजित पत्रकार वार्ता में भू-विस्थापित दिनेश जायसवाल समेत अन्य परिजनों ने बताया कि उनके परिवार की अर्जित भूमि पर स्कूल भवन, रिहायशी मकान एवं श्री कामदगिरी उद्यान का निर्माण किया गया था। भूमि का मुआवज़ा निर्धारण वर्ष 2015 के बाद किया गया था, किंतु रिफाइन एक्ट 2013 के तहत निर्धारित अतिरिक्त मुआवज़ा राशि अब तक प्रदान नहीं की गई है।
घटना का विवरण:
दिनांक 29 मई 2025 को दोपहर करीब 3 बजे एसईसीएल दीपका क्षेत्र के अधिकारी सुशील साहू, रोशन मेश्राम तथा खनन कार्य में संलग्न कलिंगा कंपनी के अधिकारी और कर्मचारी 3 जेसीबी मशीनों के साथ पहुंचे। बिना किसी पूर्व सूचना अथवा न्यायालयीन आदेश दिखाए, मकान तोड़ने की कार्रवाई प्रारंभ कर दी।
परिजनों ने विरोध कर अधिकारियों से न्यायालयीन आदेश प्रस्तुत करने की मांग की, लेकिन ऐसा कोई आदेश नहीं दिखाया गया। अधिकारियों की मौजूदगी में लगभग 4 घंटे तक चली जेसीबी कार्रवाई में परिवार का रिहायशी मकान, उद्यान में लगे पेड़-पौधे, कुआं, बोर समेत अन्य संरचनाएं ध्वस्त कर दी गईं।
परिजनों का आरोप:
इस कार्रवाई से परिवार को लाखों रुपये का आर्थिक नुकसान हुआ है। भू-विस्थापित उदय नारायण जायसवाल एवं उनके चार पुत्र — संजय, प्रेम, राजेश और दिनेश जायसवाल — सभी प्रभावित हैं।
परिवार की ओर से मांग की गई है कि दोषी अधिकारियों पर भारतीय दंड संहिता (IPC) के तहत FIR दर्ज कर कानूनी कार्यवाही की जाए। साथ ही निजी भूमि पर बने रिहायशी मकान, उद्यान, पेड़-पौधे, कुआं, बोर इत्यादि का अतिरिक्त मुआवज़ा राशि तुरंत प्रदान की जाए।
राज्य सरकार और प्रशासन से भू-विस्थापित परिवार ने त्वरित हस्तक्षेप की अपील भी की है।