ब्रेकिंग न्यूज़ | CG ई खबर | कोरबा/रामपुर–छत्तीसगढ़ में एक बार फिर लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पत्रकारिता पर सीधा हमला हुआ है। CG ई खबर के प्रमुख संपादक ओम प्रकाश पटेल को रामपुर थाना प्रभारी प्रमोद डडसेना द्वारा बिना वैधानिक नोटिस और प्रारंभिक जांच के थाने बुलाया गया। यह घटना सिर्फ एक पत्रकार को दबाव में लेने का प्रयास नहीं, बल्कि लोकतंत्र में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर सीधा प्रहार है।
क्या है पूरा मामला?
विवाद की जड़ समग्र शिक्षा कार्यालय कोरबा में एक पदस्थापना से जुड़ी खबर है। 28 जून 2025 को CG ई खबर ने एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी जिसमें यह आरोप लगाया गया था कि डीएमसी मनोज पांडे ने ममता सोनी को PMU भाषा पद पर बिना विभागीय आदेश व स्वीकृति के पदस्थ कर दिया, जबकि उस पद पर पूर्व से सरोज कुमार साहू नियुक्त थे।
इस खबर के प्रकाशित होने के बाद ममता सोनी ने इसे गलत बताते हुए पुलिस अधीक्षक कोरबा को शिकायत दी, जिसके आधार पर मामला रामपुर थाना भेजा गया।
पुलिसिया प्रक्रिया का उल्लंघन
बिना किसी प्राथमिक जांच, समन या वैधानिक सूचना के, रामपुर थाना प्रभारी प्रमोद डडसेना ने CG ई खबर के संपादक को थाने बुला लिया। थाने में जब संपादक ओम प्रकाश पटेल ने इस गैरकानूनी कार्रवाई पर आपत्ति जताई, तो थाना प्रभारी ने अशोभनीय भाषा का प्रयोग किया।
सूत्रों के अनुसार, डडसेना ने उंगली दिखाकर धमकाते हुए कहा –
“क्या तुम्हारे पास पत्रकारिता की डिग्री है? ये थाना मेरा है, मेरे हिसाब से चलेगा, तुम्हें बयान देना पड़ेगा।”
यह रवैया न केवल पुलिस के दायित्वों की मर्यादा के विरुद्ध है, बल्कि संविधान के अनुच्छेद 19(1)(a) के तहत मिलने वाली प्रेस की स्वतंत्रता का स्पष्ट उल्लंघन है।
क्या पत्रकार बनने के लिए डिग्री जरूरी है?
भारत में पत्रकारिता के लिए किसी डिग्री की कानूनी अनिवार्यता नहीं है। प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया की गाइडलाइंस साफ कहती हैं कि पत्रकारों को बिना कारण परेशान या अपमानित नहीं किया जाना चाहिए।
डिग्री पूछना, धमकी देना, और थाने बुलाकर दबाव बनाना साफ तौर पर दमनात्मक और असंवैधानिक कृत्य हैं।
प्रमोद डडसेना के पुराने विवाद
यह पहला मामला नहीं है। पूर्व में जब प्रमोद डडसेना बांकीमोंगरा थाना प्रभारी थे, तो उनके खिलाफ न्यायालयीन आदेश की अवमानना, धमकी और भयादोहन जैसे मामलों में एफआईआर दर्ज हो चुकी है।
📌 17 जनवरी 2025, बिलासपुर हाईकोर्ट के आदेश पर उनके विरुद्ध अपराध दर्ज हुआ था।
चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने टिप्पणी की थी –
“पहले FIR दर्ज करें, फिर सुनवाई होगी।”
यह दर्शाता है कि डडसेना का व्यवहार पूर्व में भी पद की मर्यादा के विरुद्ध रहा है।
CG ई खबर का बयान
संपादक ओम प्रकाश पटेल ने कहा —
“हमारी रिपोर्ट जनहित में और दस्तावेजों पर आधारित थी। यह कर्तव्यनिष्ठ पत्रकारिता पर किया गया हमला है। हम डरने वाले नहीं हैं।”
निष्कर्ष
रामपुर थाना द्वारा अपनाई गई कार्यप्रणाली न केवल असंवैधानिक है, बल्कि लोकतंत्र में पत्रकारों की स्वतंत्रता को कुचलने का प्रयास है। यह मामला सिर्फ CG ई खबर या ओम प्रकाश पटेल का नहीं, बल्कि हर उस पत्रकार की आवाज है जो सच को उजागर करने का साहस करता है।
अब सवाल है —
क्या प्रशासन निष्पक्ष जांच करेगा या फिर एक बार फिर सच्चाई को दबाया जाएगा?