बांकीमोंगरा नगर पालिका में तीखी बहस के बाद मामला सुलझा, दोनों पक्षों में समझौता

बांकीमोंगरा विवाद: सांसद प्रतिनिधि और लेखापाल के बीच तीखी बहस, धक्का-मुक्की तक पहुंचा मामला, वीडियो वायरल

कोरबा-बांकीमोंगरा।
कोरबा जिले की नगर पालिका परिषद बांकीमोंगरा में मंगलवार दोपहर करीब 1 बजे अचानक हंगामा मच गया, जब यहां सांसद प्रतिनिधि और लेखापाल के बीच एक मसले को लेकर तीखी बहस हो गई। इस घटनाक्रम के दौरान न तो पालिका अध्यक्ष मौजूद थीं और न ही मुख्य नगर पालिका अधिकारी (सीएमओ), जो उस समय टीएल मीटिंग में शामिल होने मुख्यालय गई हुई थीं।

क्या था मामला?

मिली जानकारी के अनुसार, नगर पालिका कार्यालय के सामने एक बुजुर्ग व्यक्ति ऊंची आवाज में चिल्लाते हुए कह रहा था कि "यहां हर काम के लिए पैसा मांगा जा रहा है।" उसी दौरान वहां सांसद प्रतिनिधि प्रदीप अग्रवाल पहुंचे और बुजुर्ग की बात सुनकर उसका वीडियो बनाने लगे। वीडियो में देखा जा सकता है कि बुजुर्ग यह आरोप लगा रहा है कि आधार कार्ड में मोबाइल नंबर जोड़ने के लिए भी पैसे की मांग की जा रही है।

प्रतिनिधि द्वारा वीडियो बनाए जाने पर लेखापाल सुमित मेहता कार्यालय कक्ष से बाहर निकल आए और वीडियो बंद करने को कहा। उन्होंने सांसद प्रतिनिधि से पूछा कि मामला क्या है, पहले बताइए। इसी दौरान उन्होंने जबरन मोबाइल बंद कराने की कोशिश की, जिससे दोनों के बीच धक्का-मुक्की जैसी स्थिति बन गई। मामला बढ़ता देख वहां मौजूद विपक्षी पार्षदों और कर्मचारियों ने दोनों को बीच-बचाव कर अलग किया।

“मोबाइल लूटने का अधिकार नहीं” – सांसद प्रतिनिधि

सांसद प्रतिनिधि ने इस घटनाक्रम का विरोध करते हुए कहा,

"मोबाइल लूटने का किसी के पास अधिकार नहीं है। मैं किसी कर्मचारी या अधिकारी का नहीं, बल्कि आम जनता के एक पीड़ित बुजुर्ग का वीडियो बना रहा था, जो बता रहे थे कि उनसे पैसे मांगे जा रहे हैं।"

इस पर लेखापाल ने कहा,

"मैं मोबाइल लूट नहीं रहा हूं, सिर्फ यह कह रहा हूं कि वीडियो मत बनाइए, पहले मामला स्पष्ट कीजिए। यदि कर्मचारी ने गलती की है तो हम कार्रवाई करेंगे।"

“नेतागिरी ऑफिस के बाहर करो” – लेखापाल का बयान

विवाद के दौरान लेखापाल ने कहा,

"नेतागिरी ऑफिस के बाहर करो, यहां नहीं चलेगा।"

जिसका विरोध करते हुए सांसद प्रतिनिधि ने जवाब दिया,

"हम नेतागिरी यहीं करेंगे, आप कौन होते हैं रोकने वाले?"

दो वीडियो सामने आए

इस पूरे मामले से जुड़े दो वीडियो सामने आए हैं।

  • पहला वीडियो सांसद प्रतिनिधि द्वारा बनाया गया है, जिसमें बुजुर्ग व्यक्ति चिल्लाते हुए पैसों की मांग का आरोप लगा रहा है।
  • दूसरा वीडियो किसी प्रत्यक्षदर्शी द्वारा विवाद के दौरान रिकॉर्ड किया गया है, जिसमें प्रतिनिधि और लेखापाल के बीच तीखी बहस और झूमा-झटकी स्पष्ट रूप से देखी जा सकती है।

बुजुर्ग की पहचान और पक्ष

बुजुर्ग की पहचान फोटू के रूप में हुई है, जो मोगरा बस्ती निवासी हैं और प्लंबर का कार्य कर जीविकोपार्जन करते हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि आधार कार्ड में मोबाइल नंबर जोड़ने के लिए उनसे पैसे मांगे गए।

महिला कर्मचारी का पक्ष

घटनास्थल पर मौजूद महिला कर्मचारी ने बताया,

"वह व्यक्ति मेरे पास आया और कहा कि आधार में मोबाइल नंबर जोड़ना है। मैंने जवाब दिया कि आज चॉइस सेंटर के कर्मचारी नहीं आए हैं, आप बाहर किसी भी चॉइस सेंटर से करवा सकते हैं। वहां कुछ चार्ज लिया जाता है। इसके बाद वह शोर मचाने लगा और तभी सांसद प्रतिनिधि पहुंच गए।"

महिला कर्मचारी ने कहा कि उन्होंने किसी प्रकार की कोई रकम नहीं मांगी और इस विषय में वह कोई बयान नहीं देना चाहतीं। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि यह मामला अब सुलझा लिया गया है और अब कोई टिप्पणी नहीं की जा सकती।

सांसद प्रतिनिधि का स्पष्टीकरण

सांसद प्रतिनिधि प्रदीप अग्रवाल ने बताया,

"मेरी मंशा किसी अधिकारी या कर्मचारी को अपमानित करने की नहीं थी। मैंने सिर्फ एक पीड़ित व्यक्ति की बात को सामने लाने के लिए वीडियो बनाया। महिला कर्मचारी के साथ किसी भी प्रकार का अभद्र व्यवहार नहीं किया गया है, और यह झूठी अफवाह है।"

उन्होंने बताया कि पूरे घटनाक्रम की जानकारी सीएमओ को दी गई, और उनके समक्ष दोनों पक्षों को आमने-सामने बैठाकर मामले को सुलझा लिया गया।

वीडियो में क्या है?

वीडियो में महिला कर्मचारी स्पष्ट कहती नजर आ रही हैं कि,

"वो भैया मेरे पास आए थे, बोले कि मोबाइल नंबर जोड़ना है। मैंने कहा आज चॉइस सेंटर वाले नहीं आए हैं, वे चार्ज लेते हैं। इस पर वो व्यक्ति चिल्लाने लगा कि हर काम के लिए पैसा लिया जा रहा है।"

जिसके जवाब में सांसद प्रतिनिधि कहते हैं,

"क्या मैं इस व्यक्ति का वीडियो नहीं बना सकता?"
इस पर महिला कर्मचारी जवाब देती हैं,
"वो गलत बोल रहा है, इसलिए वीडियो नहीं बनाइए।"


कानूनी पहलू: क्या कोई आम नागरिक कार्यालय में वीडियो बना सकता है?

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 19(1)(a) हर नागरिक को "अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता" (Freedom of Speech and Expression) का अधिकार देता है। इसका मतलब यह है कि नागरिक सार्वजनिक स्थानों पर घटनाओं को रिकॉर्ड कर सकते हैं — बशर्ते कि वह राष्ट्रीय सुरक्षा, सार्वजनिक व्यवस्था या किसी व्यक्ति की निजता का उल्लंघन न हो।

अधिकारों के इस दायरे में यदि कोई व्यक्ति भ्रष्टाचार या उत्पीड़न की शिकायत करता है, तो उस पर आधारित रिकॉर्डिंग सार्वजनिक हित में मानी जा सकती है। हालांकि, सरकारी कार्यालयों में रिकॉर्डिंग को लेकर स्थानीय प्रशासनिक नियम अलग-अलग हो सकते हैं।


रिपोर्ट: CG ई खबर | प्रमुख संपादक: ओम प्रकाश पटेल

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