रायपुर (CG ई खबर): छत्तीसगढ़ में अतिथि व्याख्याता भर्ती को लेकर नया विवाद खड़ा हो गया है। उच्च शिक्षा आयुक्त द्वारा 18 अगस्त को जारी आदेश ने स्थानीय बेरोजगार युवाओं में गुस्सा भर दिया है। आदेश के अनुसार अब केवल समान अंक होने की स्थिति में ही छत्तीसगढ़ के उम्मीदवारों को प्राथमिकता दी जाएगी।
पुराना और नया नियम
पहले के विज्ञापन में स्पष्ट उल्लेख था कि योग्य होने पर स्थानीय उम्मीदवारों को सीधी प्राथमिकता मिलेगी। बाहरी राज्यों के अभ्यर्थी तभी चुने जाते थे जब स्थानीय स्तर पर उपयुक्त उम्मीदवार न मिलें। लेकिन हालिया आदेश में इस प्रावधान को बदल दिया गया है। अब बाहरी उम्मीदवार भी बराबरी से दावेदार होंगे।
युवाओं की नाराज़गी
छत्तीसगढ़ के अभ्यर्थियों का कहना है कि उम्मीदवारों के अंक समान होने की संभावना बहुत कम होती है। ऐसे में बाहरी उम्मीदवारों को नौकरी मिलने की संभावना अधिक रहेगी और स्थानीय युवाओं के साथ अन्याय होगा।
एक NET-SET पास उम्मीदवार ने कहा – “हम यहां रहकर पढ़ाई करते हैं, परीक्षाएं पास करते हैं, लेकिन नौकरी में हमें प्राथमिकता नहीं मिल रही। सरकार ने हमारे सपनों पर पानी फेर दिया है।”
अन्य राज्यों से तुलना
युवाओं का कहना है कि दूसरे राज्यों में स्थानीय उम्मीदवारों को नौकरी में प्राथमिकता दी जाती है, लेकिन छत्तीसगढ़ सरकार ने इसके उलट कदम उठाकर यहां के युवाओं के साथ कुठाराघात किया है।
आंदोलन की चेतावनी
NET और SET पास अभ्यर्थियों ने सरकार को चेतावनी दी है कि यदि आदेश वापस नहीं लिया गया तो वे आंदोलन शुरू करेंगे। साथ ही उन्होंने कहा कि चुनाव में स्थानीय युवा एकजुट होकर सरकार को सबक सिखाएंगे।
बेरोजगार युवाओं की मुख्य मांगें
- भर्ती में छत्तीसगढ़ के युवाओं को पहली प्राथमिकता दी जाए।
- नए आदेश को रद्द कर पुराना नियम लागू किया जाए।
- भर्ती प्रक्रिया को पूरी तरह पारदर्शी बनाया जाए।
कांग्रेस का सरकार पर हमला
कांग्रेस ने इस मुद्दे पर भाजपा सरकार को घेरा। प्रवक्ता सुरेंद्र शर्मा ने कहा कि “गौठान बंद करने और आदिवासी उत्सवों को रोकने के बाद अब सरकार ने युवाओं के हितों पर चोट की है। अतिथि शिक्षक जैसे अस्थायी पदों पर भी स्थानीय युवाओं को दरकिनार करना निंदनीय है। भाजपा सरकार लगातार बेरोजगारों से छल कर रही है।”
विवाद की असली वजह: नया नियम जिसमें स्थानीयों को केवल समान अंक होने पर ही प्राथमिकता दी जाएगी।
युवाओं की नाराज़गी: उनका कहना है कि इससे बाहरी उम्मीदवारों को फायदा होगा और स्थानीय युवाओं को नुकसान।
राजनीतिक असर: कांग्रेस ने सरकार पर हमला बोला, जबकि युवाओं ने आंदोलन और चुनाव में जवाब देने की चेतावनी दी।