सुबह 11 बजे से दोपहर 1:30 बजे तक चले इस धरना-प्रदर्शन में महिला कांग्रेस ने SECL की पुनर्वास नीति में महिलाओं के प्रति हो रहे भेदभाव की गंभीर निंदा की। प्रदर्शन खासतौर पर उन मामलों पर केंद्रित रहा, जिनमें विधवाओं और हकदार विस्थापित महिलाओं को वर्षों से बसाहट राशि से वंचित रखा गया है।
महिला कांग्रेस के चार सूत्रीय संवेदनशील मांग पत्र की मुख्य बिंदु
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विधवाओं/परित्यक्त महिलाओं का हक:
जिन विधवाओं, परित्यक्ताओं या ऐसी विस्थापित महिलाओं के परिवार को पति की मृत्यु के बाद सर्वे/मुआवजा भुगतान हुआ है, उन्हें कोल इंडिया पुनर्वास नीति के तहत बसाहट राशि दी जाए। -
दिवंगत विस्थापितों के आश्रितों को न्याय:
वे विस्थापित सदस्य जो सर्वे, मुआवजा भुगतान या पुनर्वास प्रक्रिया के दौरान दिवंगत हो चुके हैं, उनके आश्रितों को भी बसाहट राशि प्रदान की जाए। -
छूटे हुए विस्थापितों को शामिल करें:
विस्थापन वर्ष 2010 से अब तक छूटे हुए सभी विस्थापित परिवारों को तत्काल बसाहट राशि दी जाए। -
महिला विस्थापितों को प्राथमिकता:
जिन महिलाओं को सिर्फ इस आधार पर बसाहट राशि से वंचित किया गया कि उनका पुत्र अब वयस्क हो गया है, उन्हें तुरंत विस्थापित सदस्य मानकर बसाहट राशि का भुगतान किया जाए।
प्रभा सिंह तंवर ने दिया 15 दिनों का अल्टीमेटम
धरने को संबोधित करते हुए जिला महिला कांग्रेस कमेटी कोरबा (ग्रामीण) की अध्यक्ष प्रभा सिंह तंवर ने SECL प्रबंधन को सख्त चेतावनी दी। उन्होंने कहा—
“आज हम सिर्फ चेतावनी देने आए हैं। यदि SECL प्रबंधन 15 दिवस के भीतर बसाहट सहित सभी चार सूत्रीय मांगों का निराकरण नहीं करता है, तो महिला कांग्रेस ग्रामीणों के साथ मिलकर SECL गेवरा के मुख्य कार्यालय पर कब्ज़ा करने के लिए बाध्य होगी।”
उन्होंने प्रबंधन से मानवीय संवेदनाओं को ध्यान में रखते हुए महिलाओं और भूविस्थापितों के हक का सम्मान करने की अपील भी की।
ये रहे प्रमुख रूप से उपस्थित
प्रदर्शन में मुख्य रूप से —
प्रभा सिंह तंवर (जिलाध्यक्ष), तनवीर अहमद (प्रदेश सचिव), सूरज दास मानिकपुरी (वरिष्ठ नेता), अनीता तिवारी (महिला ब्लॉक अध्यक्ष, दीपका), आशा देवी रजक, हर्षित देवी राजपूत (पार्षद दीपका), खगेश बरेठ, रोशन निर्मलकर (सांसद प्रतिनिधि), नवीन कुकरेजा (पार्षद बांकीमोंगरा), अविनाश यादव (पार्षद दीपका), भुनेश्वरी दास (जिला महामंत्री, महिला कांग्रेस), संतोषी पाटले (ब्लॉक अध्यक्ष, हरदीबाजार) सहित बड़ी संख्या में ग्रामीण और कार्यकर्ता शामिल हुए।




