कोरबा, 29 अप्रैल (CG ई ख़बर)
कोरबा जिले में बिजली व्यवस्था पूरी तरह चरमराई हुई है। लगातार हो रही अघोषित बिजली कटौती और बार-बार बिजली आने-जाने की वजह से आम जनता त्रस्त है। गर्मी के इस मौसम में जहां लोगों को राहत की जरूरत है, वहीं बिजली की आंख-मिचौली ने लोगों का जीना मुश्किल कर दिया है। इससे न सिर्फ दिनचर्या प्रभावित हो रही है, बल्कि घरेलू उपकरण भी खराब हो रहे हैं।
लापरवाही और भ्रष्टाचार बना बड़ी वजह
स्थानीय लोगों और उपभोक्ताओं का कहना है कि बिजली विभाग की लापरवाही और भ्रष्टाचार इस बदहाली की जड़ है। विभाग के अधिकारी शिकायतों पर ध्यान नहीं देते, यहां तक कि फोन कॉल तक उठाना जरूरी नहीं समझते। ठेकेदारी प्रथा ने हालात और बिगाड़ दिए हैं। विभाग में तकनीकी ज्ञान की भारी कमी है और कुछ अधिकारी सिर्फ अपनी जेबें भरने में लगे हैं।
सी.एस.पी.डी.सी.एल वितरण विभाग की निष्क्रियता
बिजली वितरण विभाग सीएसपीडीसीएल की भूमिका पर भी गंभीर सवाल उठ रहे हैं। सूत्रों के अनुसार, रख-रखाव के नाम पर हर साल करोड़ों रुपये खर्च किए जा रहे हैं, फिर भी ज़मीनी स्तर पर कोई सुधार नहीं दिखता। करोड़ों के घोटाले और गड़बड़ियों के आरोप सामने आ रहे हैं, लेकिन अधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं।
मुख्यमंत्री और प्रशासन की भूमिका पर सवाल
राज्य के नए मुख्यमंत्री की अनुभवहीनता का विभागीय अधिकारी भरपूर लाभ उठा रहे हैं। प्रशासनिक तंत्र में बाबू-शाही और अफसरशाही हावी है। जनप्रतिनिधि और नेता भी इस गंभीर समस्या पर मौन साधे बैठे हैं, जिससे लोगों में असंतोष गहराता जा रहा है।
समाधान की दिशा में जरूरी कदम
जानकारों का मानना है कि बिजली विभाग में तकनीकी रूप से अनुभवी और जिम्मेदार अधिकारियों की नियुक्ति आवश्यक है। ठेकेदारी प्रथा को समाप्त कर विभागीय जवाबदेही सुनिश्चित करनी होगी। साथ ही, भ्रष्टाचार पर सख्त कार्रवाई और निगरानी व्यवस्था लागू की जानी चाहिए।
निष्कर्ष
कोरबा में बिजली विभाग की लचर व्यवस्था ने आम नागरिकों की परेशानियों को कई गुना बढ़ा दिया है। जब तक विभागीय ढांचे में पारदर्शिता, तकनीकी दक्षता और जवाबदेही नहीं लाई जाती, तब तक स्थिति में सुधार की उम्मीद मुश्किल होगी।