सुहागरात के बाद बदल गया भाभी का दिल: भाभी बनी देवर की दुल्हन, पति को छोड़कर देवर से रचाई शादी


अंबेडकरनगर, उत्तर प्रदेश:
रिश्तों की मर्यादा को शर्मसार करने वाला एक मामला अंबेडकरनगर जिले के हंसवर थाना क्षेत्र से सामने आया है। यहां एक नई नवेली दुल्हन ने शादी के महज सात दिन बाद अपने पति को छोड़कर देवर से शादी कर ली। मामला इतना चर्चित हुआ कि पंचायत से लेकर थाने तक हलचल मच गई, लेकिन अंत में घरवालों को भी इस अनोखे प्रेम के आगे झुकना पड़ा।

देवर से हुआ प्रेम, पति से किया किनारा
जानकारी के मुताबिक, पांच मई को गांव के एक युवक की शादी नजदीकी गांव की युवती से धूमधाम से हुई थी। शादी के बाद पत्नी ससुराल आ गई, लेकिन यहां उसकी नज़रें अपने देवर से चार हुईं और देखते ही देखते दोनों के बीच नज़दीकियां बढ़ गईं। मात्र एक हफ्ते में दुल्हन का मन बदल गया और जब वह मायके पहुंची, तो पति से दूरी बना ली और देवर के साथ जीवन बिताने की इच्छा जताई।

पंचायत से थाने तक मचा हड़कंप
परिवार में जब इस प्रेम प्रसंग की बात फैली तो हड़कंप मच गया। गांव में पंचायत बुलाई गई और दोनों को समझाने की कोशिश की गई। लेकिन देवर और भाभी अपने फैसले पर अडिग रहे। मामला थाने तक पहुंचा, जहां विवाहिता ने सरेआम अपने पति के साथ रहने से इनकार कर दिया। देवर ने भी भाभी के साथ जीवन बिताने की इच्छा जताई।

पुलिस ने नहीं की कोई कार्रवाई, परिवार ने दी सहमति
चूंकि दोनों बालिग थे और परिवार ने कोई कानूनी कार्रवाई की मांग नहीं की, इसलिए पुलिस ने हस्तक्षेप करने से मना कर दिया। बाद में परिवार और समाज ने दोनों के विवाह को स्वीकार कर लिया। देवर और भाभी ने सामाजिक बंधनों को तोड़ते हुए एक-दूसरे से शादी कर ली।

पहले पति की पत्नी, अब देवर की जीवनसंगिनी
जिस दुल्हन ने सात दिन पहले बड़े बेटे की पत्नी बनकर ससुराल में कदम रखा था, अब वही छोटे बेटे की पत्नी बनकर उसी घर में रह रही है। यह प्रेम कहानी समाज के कई सवालों को जन्म देती है, लेकिन फिलहाल गांव में इस पर चर्चा और आश्चर्य का माहौल बना हुआ है।

प्रश्नोत्तर में प्रमुख बिंदु:

  • कहां का मामला है? – अंबेडकरनगर, हंसवर थाना क्षेत्र

  • क्या शादी कानूनी है? – हां, दोनों बालिग हैं और परिवार की सहमति है

  • पुलिस कार्रवाई? – नहीं हुई

  • क्या तलाक हुआ? – तलाक का ज़िक्र नहीं, लेकिन पत्नी ने पति से रहने से इनकार किया

  • समाज की प्रतिक्रिया? – प्रारंभिक विरोध के बाद स्वीकृति मिल गई

यह घटना न केवल रिश्तों की जटिलता को उजागर करती है, बल्कि पारंपरिक सोच और सामाजिक व्यवस्था पर भी सवाल खड़े करती है।

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