कोटा (राजस्थान), 30 जून (CG ई खबर) : राजस्थान के कोटा जिले में वन विभाग ने वन्यजीव अंगों की तस्करी के एक बड़े रैकेट का पर्दाफाश किया है। शहर के कुन्हाड़ी थाना क्षेत्र में की गई कार्रवाई में विभाग ने दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है, जो बावरी जाति से संबंधित हैं। उनके पास से दुर्लभ वन्यजीव अंग और दो जीवित कछुए बरामद किए गए हैं।
वन विभाग की टीम ने छापा मारकर आरोपियों के ठिकानों से 28 जोड़ी मॉनिटर लिजर्ड (गोही) के मेल प्राइवेट पार्ट, बारहसिंगा के सिंग, जंगली पक्षियों के पंजे, पैंथर का नाखून, और कुछ अन्य दांत बरामद किए। इसके अलावा, दो जिंदा कछुए और शिकार के लिए उपयोग में लाए जा रहे 6 फंदे भी जब्त किए गए।
डीएफओ अनुराग भटनागर ने बताया कि उन्हें इलाके में वन्यजीव तस्करी की सूचना मिली थी। सूचना के आधार पर कुन्हाड़ी क्षेत्र में झोपड़ियों पर छापा मारा गया। तलाशी के दौरान अवैध सामग्री बरामद की गई। गिरफ्तार किए गए तस्करों की पहचान दीपक और जयराम के रूप में हुई है। बताया गया है कि यह सामान झोपड़ियों में रह रही महिलाओं और बच्चों के बीच छिपाकर रखा गया था।
वन्यजीव अंगों की तस्करी क्यों होती है?
तस्करी मुख्य रूप से अंधविश्वास, तंत्र-मंत्र, और पारंपरिक (अवैज्ञानिक) चिकित्सा के कारण होती है। मॉनिटर लिजर्ड के प्राइवेट पार्ट को तंत्र क्रियाओं और यौन क्षमता बढ़ाने के लिए उपयोग किए जाने की झूठी मान्यता है, जिसकी कोई वैज्ञानिक पुष्टि नहीं है।
क्या है सजा?
भारतीय वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत ऐसी तस्करी में दोषी पाए जाने पर 3 से 7 साल की जेल और भारी जुर्माना लगाया जा सकता है।
क्या करें अगर आपको तस्करी की जानकारी मिले?
अगर आपको किसी प्रकार की वन्यजीव तस्करी या अवैध व्यापार की सूचना मिले, तो तुरंत वन विभाग या स्थानीय पुलिस को सूचित करें। आपकी पहचान गोपनीय रखी जाएगी।
वन विभाग फिलहाल गिरफ्तार आरोपियों से पूछताछ कर रहा है और यह पता लगाने की कोशिश कर रहा है कि इस तस्करी के पीछे कोई बड़ा गिरोह तो नहीं है।
📢 वन्यजीवों की सुरक्षा में सहयोग करें — तस्करी की सूचना देना आपकी जिम्मेदारी है।