मैनपाट से मिशन 2028 तक का रोडमैप! बीजेपी की ‘आदिवासी मास्टर क्लास’ पर कांग्रेस का तंज, SC-ST वोट बैंक पर फोकस


रायपुर: (CG ई खबर) 
डबल इंजन की सरकार अब डबल प्रेशर में दिख रही है। ऐसे में मैनपाट की तीन दिवसीय बीजेपी मास्टर क्लास को ‘रियलिटी चेक’ और ‘फॉरवर्ड प्लानिंग’ का मंच माना जा रहा है। दरअसल, आदिवासी बहुल मैनपाट में हुई इस बैठक ने साफ कर दिया है कि प्रदेश की बीजेपी सरकार अब ST-SC वोट बैंक को साधने की रणनीति में जुट गई है।

मैनपाट क्यों?
छत्तीसगढ़ के सरगुजा संभाग का मैनपाट आदिवासी बहुल इलाका है। बीजेपी यहीं से नए नरेटिव की बुनियाद रखती दिखी। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय खुद आदिवासी हैं। ऐसे में यह संदेश दिया गया कि प्रदेश की सत्ता की बागडोर अब आदिवासी नेतृत्व के हाथ में है।

तीन दिन, 12 सत्र, बड़ा एजेंडा
बीजेपी के इस प्रशिक्षण शिविर में राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान, संगठन महामंत्री बीएल संतोष समेत दिग्गज नेताओं ने मंत्रियों, विधायकों और सांसदों को सियासी पाठ पढ़ाया।
मुख्य फोकस रहा—

  • जनता के बीच सक्रिय रहने की रणनीति
  • मीडिया व सोशल मीडिया पर सधे कदम
  • ST-SC वर्ग के बीच गहरी पकड़
  • सत्ता-संगठन में तालमेल बढ़ाने के निर्देश

बीजेपी की क्या तैयारी?
पार्टी अब विशेष रणनीति के तहत आदिवासी व अनुसूचित जाति वर्ग में अपनी पकड़ मजबूत करने की योजना पर काम करेगी। नेताओं को साफ निर्देश दिए गए हैं कि जनसमस्याओं को प्राथमिकता से सुलझाएं और हर हाल में जमीन पर दिखें।

कांग्रेस का पलटवार:
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने इस मास्टर क्लास को ‘नेताओं की पिकनिक’ करार दिया। उन्होंने कहा कि अगर वाकई सरकार SC-ST-OBC के हितों की चिंता कर रही है तो विधानसभा में इनके हित से जुड़े अटके बिलों को पास क्यों नहीं करवा रही?

अब सवाल ये:

  1. क्या वाकई बीजेपी सरकार आदिवासी कार्ड को 2028 तक मजबूत करने में सफल होगी?
  2. क्या कांग्रेस सिर्फ आरोपों तक सिमट जाएगी या कोई ठोस रणनीति बनाएगी?
  3. क्या छत्तीसगढ़ की राजनीति अब खुलकर SC-ST वोट बैंक केंद्रित होने वाली है?

निष्कर्ष:
मैनपाट की बैठक से इतना तो तय है कि आने वाले दिनों में छत्तीसगढ़ की राजनीति में आदिवासी व अनुसूचित जाति वर्ग की हिस्सेदारी और सियासी दांव-पेंच दोनों बढ़ने वाले हैं। बीजेपी की नजरें मिशन 2028 पर हैं, तो कांग्रेस भी अगली चाल की तैयारी में जुटेगी।

राजनीति अब नरेटिव की जंग बन चुकी है।

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