जगदलपुर, 07 जुलाई (CG ई खबर)। बस्तर संभाग मुख्यालय जगदलपुर में इंसानियत और रिश्तों की मिसाल पेश करने वाली एक अनोखी घटना चर्चा का केंद्र बनी हुई है। यहां के सीता-श्यामलाल देवांगन दंपत्ति ने अपनी विधवा पुत्रवधू गायत्री का पुनर्विवाह कराकर पूरे समाज के लिए अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया है।
जानकारी के अनुसार, जगदलपुर निवासी सीता-श्यामलाल देवांगन के बेटे पारस देवांगन का विवाह रायगढ़ निवासी चुन्नी हरिलाल देवांगन की बेटी गायत्री से हुआ था। दुर्भाग्यवश, कोरोना काल में पारस देवांगन का असमय निधन हो गया, जिससे गायत्री विधवा हो गई। एकलौते बेटे के निधन से सीता-श्यामलाल देवांगन भी गहरे दुख में डूब गए थे, लेकिन इस मुश्किल घड़ी में गायत्री ने सास-ससुर की बेटी बनकर पूरे मन से उनकी सेवा की।
गायत्री की सेवा और समर्पण ने देवांगन दंपत्ति का मन छू लिया। उन्होंने ठान लिया कि बहू की जिंदगी अकेलेपन में न कटे। उन्होंने उसके लिए योग्य वर तलाशा और पूरे रीति-रिवाज के साथ आशीष नामक युवक से उसका विवाह कराया। यही नहीं, उन्होंने गायत्री को बेटी की तरह कन्यादान कर समाज के सामने एक बड़ी मिसाल पेश की। विवाह समारोह में परिवार, समाज व मित्रों को बुलाया गया, लेकिन उपहार स्वरूप केवल ₹1 ही स्वीकार किया गया।
इस घटना की चारों ओर सराहना हो रही है। जहां आजकल कई बहुएं सास-ससुर के साथ रहना नहीं चाहतीं, वहीं गायत्री ने सेवा और अपनत्व का उदाहरण पेश किया। वहीं, सीता-श्यामलाल देवांगन ने अपने बेटे की विधवा पत्नी को बेटी मानकर उसका पुनर्विवाह कर न सिर्फ उसकी जिंदगी संवार दी, बल्कि समाज को भी रिश्तों की नई परिभाषा दी।
इस घटना ने साबित कर दिया कि यदि नीयत नेक हो, तो हर रिश्ता एक नई दिशा दे सकता है।