मुड़ापार स्कूल की जर्जर छत गिरी, बाल-बाल बचे बच्चे — प्रशासन सो रहा ‘कुम्भकरण की नींद’


कोरबा (CG ई-ख़बर):
जिले के पाली ब्लॉक के ग्राम पंचायत मुड़ापार से बड़ी लापरवाही सामने आई है। आज दोपहर ठीक 12 बजे शासकीय पूर्व माध्यमिक विद्यालय मुड़ापार की छत अचानक भरभराकर गिर गई। इस हादसे में वहां पढ़ रहे बच्चे बाल-बाल बच गए। हादसे के समय स्कूल में कक्षा चल रही थी।

गनीमत रही कि कोई गंभीर हादसा नहीं हुआ, वरना बड़ा नुकसान हो सकता था। बताया जा रहा है कि यह स्कूल पिछले तीन साल से जर्जर हालत में है। स्कूल की हालत इतनी खस्ता है कि एक ही कमरे में कक्षा 6वीं और 7वीं के छात्र-छात्राएं बैठते हैं, वो भी ऐसी छत के नीचे जो कभी भी जानलेवा बन सकती है।

शिक्षा विभाग बना अनजान, आवेदन धूल खा रहे फाइलों में
स्कूल के शिक्षकों ने कई बार शिक्षा विभाग को आवेदन देकर जर्जर भवन की मरम्मत की मांग की थी, लेकिन हर बार आवेदन कागजों में ही दबकर रह गया। अधिकारी सिर्फ औपचारिकता निभाकर पल्ला झाड़ते रहे। अगर आज कोई बड़ी घटना हो जाती तो जिम्मेदार कौन होता?


80 से ज्यादा बच्चे रोज जान जोखिम में डालकर पढ़ रहे हैं
इस स्कूल में करीब 80 से 90 छात्र-छात्राएं पढ़ते हैं। बारिश में छत से पानी टपकता है, प्लास्टर झड़ता है, और कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। मजबूरी में बच्चों को एक ही कक्षा में बिठाकर पढ़ाया जा रहा है, कई बार बारिश के कारण स्कूल बंद भी करना पड़ता है।

कई स्कूल जर्जर, खतरे के साये में बच्चे
कोरबा जिले में ऐसे कई स्कूल हैं, जहां जर्जर भवनों में पढ़ाई हो रही है। हर साल बरसात में ये इमारतें मौत के मुहाने पर आ खड़ी होती हैं। मगर शिक्षा विभाग और प्रशासन का ध्यान अब तक इस गंभीर समस्या पर नहीं गया है।


अब सवाल ये है कि:

  • आखिर इतने आवेदन कहां गुम हो गए?
  • बच्चों की जान की कीमत पर कब तक चलती रहेगी ये लापरवाही?
  • बदहाल शिक्षा व्यवस्था की जिम्मेदारी कौन लेगा?

मुद्दा सीधा है:
क्या किसी बड़ी घटना के बाद ही जागेगा प्रशासन?
बच्चे सवाल कर रहे हैं—"हम कहाँ पढ़ें?"

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