SECL के खिलाफ भूविस्थापितों का आक्रोश, फर्जी नौकरी घोटाले पर फूटा गुस्सा, अर्धनग्न प्रदर्शन और पुतला दहन


कोरबा, कुसमुंडा: (CG ई खबर | प्रमुख संपादक : ओम प्रकाश पटेल) 
कुसमुंडा परियोजना क्षेत्र में भूविस्थापित परिवारों का SECL प्रबंधन के खिलाफ आक्रोश लगातार बढ़ता जा रहा है। आरोप है कि पूर्व में किए गए फर्जी भर्ती के चलते सैकड़ों भूविस्थापित आज भी नौकरी के लिए भटक रहे हैं। इन परिवारों का कहना है कि उनकी जमीनें लेने के बावजूद उनके खातों में अन्य लोगों को फर्जी तरीके से नौकरी दे दी गई।

अर्धनग्न प्रदर्शन और चूड़ी पहनाने की चेतावनी

इसी मुद्दे को लेकर शुक्रवार को "भूविस्थापित रोजगार एकता महिला किसान संगठन" के बैनर तले सैकड़ों महिलाओं ने SECL के कुसमुंडा GM कार्यालय के भीतर अर्धनग्न होकर जोरदार प्रदर्शन किया। प्रदर्शन के दौरान महिलाओं ने अधिकारियों से कहा, “अगर आपमें संवेदना नहीं है तो हमारी चूड़ियां पहन लीजिए, हम यहां से चले जाएंगे।”

GM और CMD का पुतला दहन, नारों से गूंजा इलाका

अगले दिन शनिवार को भूविस्थापितों ने कुसमुंडा GM सचिन पाटिल और SECL CMD का पुतला कार्यालय गेट के सामने फूंका। इससे पहले जुलूस निकाला गया और प्रदर्शनकारियों ने पुतलों पर जमकर नाराजगी जताई। एक प्रदर्शनकारी ने पुतले पर थूका, उसके बाद "मुर्दाबाद" के नारे लगाते हुए उन्हें जलाया गया। इस दौरान प्रदर्शनकारियों के चेहरों पर गहरा आक्रोश साफ नजर आया।


SECL की सफाई: सहमति और शासन की जांच के बाद दी गई नौकरियां

दूसरी ओर SECL प्रबंधन की ओर से यह सफाई दी गई कि जिन लोगों की जमीन अधिग्रहित की गई है, उन्हें उनकी सहमति और राज्य शासन की एजेंसियों द्वारा सत्यापन के बाद ही नौकरी दी गई है। ऐसे में प्रबंधन की कोई गलती नहीं है।

हालांकि, प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि तत्कालीन अधिकारी अनुपम दास की भूमिका संदिग्ध रही है, जिन्होंने कथित तौर पर कई फर्जी नियुक्तियां करवाईं।


1978 से जारी फर्जीवाड़े का खेल

जानकारों के अनुसार, यह पूरा मामला 1978 से शुरू हुआ जब अविभाजित मध्यप्रदेश में पुनर्वास नीति प्रभावी नहीं थी। उस समय कलेक्टर भूमि अधिग्रहण समिति के अध्यक्ष होते थे और विधायकों की सिफारिश पर एक नीति के तहत लगभग तीन एकड़ भूमि पर एक नौकरी का प्रावधान रखा गया था। छोटे भूखंडों पर भी रोजगार देने की व्यवस्था बनाई गई थी।

इसी व्यवस्था का फायदा उठाते हुए कई राजस्व कर्मियों और अधिकारियों ने मिलकर बड़े पैमाने पर हेराफेरी की। बड़ी जमीनों को छोटे-छोटे टुकड़ों में बांट कर कई लोगों को फर्जी तौर पर नियुक्तियां दिलाई गईं। कई मामलों में जमीन मालिकों की जानकारी के बिना या उनसे समझौता कर उनके नाम से नाता जोड़कर फर्जी नियुक्ति ली गई।


आज भी भुगत रहे हैं भूविस्थापित

आज कई ऐसे असली भूविस्थापित परिवार हैं जिनके खाते में नौकरी नहीं गई, जबकि फर्जी तौर पर जुड़े लोगों ने इसका लाभ ले लिया। इन सभी घटनाओं के चलते SECL प्रबंधन की कार्यशैली पर आज भी सवाल उठ रहे हैं। रोजगार, मुआवजा, पुनर्वास और बसाहट जैसे मुद्दों को लेकर भूविस्थापितों की नाराजगी बनी हुई है।

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