छत्तीसगढ़/कोरबा। (CG ई खबर) : प्रदेश में खेती-किसानी का समय चल रहा है और बारिश भी हो रही है, लेकिन इसी बीच गायों को लेकर गंभीर समस्या सामने आई है। पहले की सरकार ने गौठानों को विकसित कर गायों को सुरक्षित रखने की व्यवस्था बनाई थी और नरवा, घुरवा, बाड़ी योजना के जरिए गौठानों को सक्रिय रखा गया था। मगर अब हालात बदल चुके हैं। गौठान खंडहर में तब्दील हो गए हैं और गायें सड़कों पर बैठने को मजबूर हैं।
सड़क पर गायें, बढ़ रही दुर्घटनाएँ
गायों के सड़क पर बैठने और घूमने से आए दिन दुर्घटनाएँ हो रही हैं। अलग-अलग क्षेत्रों में दर्जनों गायें हादसों का शिकार होकर मर रही हैं। इसके बावजूद शासन-प्रशासन की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है।
किसानों का दोहरा रवैया
ज़रूरत पड़ने पर किसान अपनी गायों को घर में अच्छे से रखते हैं, लेकिन बाकी समय उन्हें सड़क और कचरे में छोड़ देते हैं। जब हादसा होता है तो वही लोग सड़क जाम और मुआवजे की मांग करने लगते हैं।
कार्रवाई की मांग
गौ सेवकों का कहना है कि जिन मालिकों ने अपनी गायों को सड़क पर छोड़ दिया है, उनके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए या जुर्माना लगाया जाना चाहिए। साथ ही, शासन से मांग की जा रही है कि गायों के लिए व्यवस्थित और स्थायी जगह उपलब्ध कराई जाए।
मुख्य सवाल यही है कि गायों की सुरक्षा की जिम्मेदारी आखिर किसकी है – शासन-प्रशासन की या फिर उन किसानों की जिन्होंने अपनी ही गायों को बेसहारा छोड़ दिया है?