गेवरा//कोरबा। प्रदेश में गर्मी अपना चरम रूप दिखा रही है। तापमान सर चढ़कर बोल रहा है, ऐसे में जल संकट की मार झेलना ग्रामीणों के लिए दोहरी पीड़ा बन गया है। कोरबा जिले के एसईसीएल से प्रभावित ग्रामों में शुद्ध पेयजल और निस्तारी जल की भारी किल्लत उत्पन्न हो गई है। ग्रामीणों का आरोप है कि एसईसीएल प्रबंधन द्वारा ठेके पर पानी आपूर्ति की जिम्मेदारी दी गई है, लेकिन ठेकेदार केवल खानापूर्ति कर रहे हैं और टैंकरों से नियमित जल आपूर्ति नहीं की जा रही है।
सूत्रों के अनुसार, एसईसीएल हर वर्ष करोड़ों रुपये खर्च कर प्रभावित ग्रामों में टैंकरों से शुद्ध पानी की आपूर्ति हेतु ठेका देता है। लेकिन इस बार भीषण गर्मी के बीच न तो टैंकर गांवों तक पहुंच रहे हैं और न ही लोगों को पीने और निस्तारी के लिए पर्याप्त पानी मिल पा रहा है। कई ग्रामीण तो 600 रुपये में निजी टैंकर किराए पर लेकर अपनी जरूरतें पूरी करने को मजबूर हैं।
ग्रामीणों ने बताया कि हर साल ठेकेदार सिर्फ नाममात्र की आपूर्ति कर किसी तरह समय बिताते हैं और फिर अपना भुगतान पास करवा लेते हैं। वहीं प्रबंधन भी उन पर कोई सख्त कार्रवाई नहीं कर रहा है, जिससे ग्रामीणों में गहरा असंतोष है। स्थानीय जनप्रतिनिधियों द्वारा कई बार प्रबंधन को आवेदन और निवेदन दिए जा चुके हैं, परंतु अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।
खदानों के विस्तार और गहरी खुदाई के चलते प्रभावित क्षेत्रों में हैंडपंप, कुएं और बोरवेल तक सूख चुके हैं। ऐसे में टैंकरों से होने वाली जल आपूर्ति ही एकमात्र सहारा है, लेकिन उसमें भी भारी लापरवाही बरती जा रही है। हालात इतने गंभीर हैं कि प्रभावित ग्रामों में कभी भी जनआंदोलन की स्थिति बन सकती है।
ग्रामीणों की माँग है कि प्रबंधन तुरंत हस्तक्षेप कर ठेकेदारों पर सख्त निगरानी रखते हुए नियमित जल आपूर्ति सुनिश्चित करे, ताकि भीषण गर्मी में लोगों को बुनियादी सुविधा के लिए संघर्ष न करना पड़े।