कोरबा (छत्तीसगढ़): SECL (साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड) कुसमुंडा पर ज़मीन अधिग्रहण के नाम पर मनमानी का आरोप लगाया जा रहा है। पीड़ित परिवारों का कहना है कि कंपनी ने उनसे नौकरी के वादे पर ज़मीन ले ली, लेकिन आज तक नौकरी नहीं दी। मामला गोमती कैवर्त नाम की महिला का भी है, जिनकी ज़मीन पर किसी और को नौकरी दे दी गई है।
420 तरीके से मिलीभगत का आरोप
पीड़ितों का कहना है कि SECL के कुछ अधिकारियों की मिलीभगत से फर्जी दस्तावेज़ों के आधार पर दूसरों को नौकरी दी जा रही है। इसमें स्थानीय पुलिस प्रशासन की भूमिका पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं। आरोप है कि कुसमुंडा पुलिस गरीब परिवारों को डरा-धमका कर चुप कराने की कोशिश कर रही है।
धरना-प्रदर्शन के बावजूद नहीं मिली सुनवाई
नौकरी की मांग को लेकर पीड़ितों ने पहले भी प्रदर्शन किया, लेकिन पुलिस-प्रशासन ने दबाव डालकर मामले को शांत करा दिया। अब भी करीब 8 से 10 ऐसे परिवार हैं जिनकी ज़मीन एकडो में ली गई है, लेकिन उन्हें नौकरी देने का वादा कर सालो से घुमा रही है SECL कुसमुंडा।
प्रशासन क्यों नहीं ले रहा कार्रवाई?
सबसे बड़ा सवाल यही है कि जब जमीन देने वाले दस्तावेज़ मौजूद हैं और कंपनी ने वादा किया था नौकरी का, तो इन गरीबों को क्यों भटकना पड़ रहा है? आखिर पुलिस प्रशासन इन फर्जीवाड़ों पर कार्रवाई क्यों नहीं कर रहा? क्या यह एक सोची-समझी साज़िश है गरीबों के अधिकारों को कुचलने की?
जनता की माँग:
पीड़ित परिवारों ने मांग की है कि पूरे मामले की निष्पक्ष जांच हो, दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई की जाए और जिन परिवारों से जमीन ली गई है, उन्हें जल्द से जल्द नियमानुसार नौकरी दी जाए।