कोरबा ज़िले के हरदीबजार दीपका खदान में दो ग्रामीणों के मलवे में दबने की खबर ने इलाके को हिला दिया है। मिली जानकारी के अनुसार, बचाव दल ने एक शव को बाहर निकाला है जिसकी पहचान धनसिंह धनवार के रूप में हुई है। दुर्भाग्यवश, धनसिंह को जब बाहर निकाला गया तब वह मृत अवस्था में था। अभी भी एक अन्य ग्रामीण विशाल के दबे होने की आशंका है, जिसकी तलाश जारी है।
धनसिंह का शव मिलते ही SECL प्रशासन ने तत्काल CISF की टीम को मौके पर तैनात कर दिया है। गौरतलब है कि यह कोई पहला हादसा नहीं है – इससे पहले भी चार ऐसे हादसे इसी क्षेत्र में हो चुके हैं, लेकिन अब तक ठोस कार्रवाई नहीं हो पाई है।
स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि वे अपने जीवनयापन के लिए कोयला निकालने को मजबूर हैं। SECL द्वारा खनन कार्यों के लिए आउटसोर्सिंग कंपनियों को ठेका दिया जाता है, जो अन्य राज्यों से ड्राइवर, हेल्पर, इंजीनियर और माइनिंग सरदार नियुक्त करती हैं। लेकिन भु-स्वामी और प्रभावित क्षेत्र के स्थानीय लोग, जिनकी जमीनें ली गई हैं, उन्हें रोजगार नहीं दिया जाता।
ग्रामीणों का आरोप है कि यदि SECL और ठेका कंपनियां स्थानीय युवाओं को रोजगार देतीं तो आज धनसिंह और विशाल को खदान में उतरने की जरूरत ही नहीं पड़ती। यह हादसा टल सकता था। अब सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि क्या SECL उन परिवारों के बच्चों को लौटा सकती है जिन्होंने अपने लाल खो दिए?
ग्रामीणों में इस घटना को लेकर भारी आक्रोश है और वे प्रशासन से न्याय व रोजगार की मांग कर रहे हैं।