(CG ई-ख़बर | 06 मई 2025) — ग्राम नराईबोध में मुआवजा वितरण को लेकर SECL के प्रति भारी नाराजगी है। पार्षद श्रीमती अमिला पटेल को दिनांक 05 मई 2025 को SECL गेवरा प्रबंधन द्वारा एक पत्र प्राप्त हुआ, जिसमें जानकारी दी गई कि जिन ग्रामीणों की भूमि की नापजोख पूरी हो चुकी है, वे मुआवजा राशि की जानकारी के लिए SECL के जी.एम. ऑफिस में संपर्क कर सकते हैं।
जब ग्राम पार्षद के पति श्री राकेश कुमार पटेल SECL गेवरा कार्यालय पहुँचे, तो पता चला कि मुआवजा में 60% की कटौती की गई है। इस पर ग्रामवासियों में गहरा रोष उत्पन्न हुआ और उसी शाम, दिनांक 06 मई 2025 दिन मंगलवार शाम 5 बजे ग्राम नराईबोध में एक आपातकालीन बैठक बुलाई गई, जिसमें निम्नलिखित प्रमुख मुद्दों पर चर्चा हुई:
1. मुआवजा में 60% की कटौती क्यों?
ग्राम नराईबोध में मुआवजा वितरण को लेकर ग्रामीणों में भारी आक्रोश है। ग्रामीणों ने सवाल उठाया है कि जब SECL प्रबंधन ने पहले 100% मुआवजा देने का आश्वासन दिया था, तो अब केवल 40% ही क्यों दिया जा रहा है? शेष 60% राशि आखिर किसे और क्यों दी जा रही है — इस पर कोई स्पष्ट जानकारी नहीं दी गई है। ग्रामवासियों का कहना है कि जब उन्होंने इस संदर्भ में SECL से बाजार मूल्य मार्गदर्शक रिपोर्ट (Market Value Guideline Report) की मांग की, तो उसमें कहीं भी यह उल्लेख नहीं है कि मुआवजा राशि में कोई भी कटौती की जानी है। इससे यह स्पष्ट होता है कि मुआवजा में की गई 60% की कटौती मनमानी प्रतीत होती है, जिसका कोई वैधानिक या दस्तावेज़ी आधार नहीं है। इस अन्यायपूर्ण कटौती को लेकर ग्रामीणों में SECL के प्रति तीव्र आक्रोश है।
2. फेस-वन मुआवजा किसे और क्यों दिया गया?
ग्राम नराईबोध के ग्रामीणों ने SECL (गेवरा परियोजना) पर गंभीर आरोप लगाए हैं। ग्रामीणों का कहना है कि "नराईबोध फेस-वन" के नाम पर मुआवजा एक ऐसे व्यक्ति को दे दिया गया है, जो नराईबोध ग्राम का मूल निवासी ही नहीं है। ग्रामीणों ने बताया कि संबंधित व्यक्ति राठौर परिवार जो की बेजा कब्जाधारी से संबंध रखता है, जिसे चुपचाप नराईबोध फेस-वन घोषित कर दिया गया और बिना ग्रामवासियों की जानकारी के उसे मुआवजा भी प्रदान कर दिया गया। ग्रामवासियों का यह भी कहना है कि उन्हें अब तक यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि इस व्यक्ति को कितना मुआवजा दिया गया, और किस दर (रेट) पर यह मुआवजा तय किया गया। ग्रामवासियों ने यह सवाल उठाया है कि जब नराईबोध बस्ती के वास्तविक निवासी अभी तक अपने मुआवजे के लिए संघर्ष कर रहे हैं, तो एक बाहरी व्यक्ति को किस आधार पर और किस प्रक्रिया के तहत यह लाभ प्रदान किया गया? ग्रामीणों ने इसे पारदर्शिता की भारी कमी और एक सुनियोजित अनियमितता बताया है।
3. बसावट की अनिश्चितता
ग्राम नराईबोध में भूमि अधिग्रहण के बाद अब पुनर्वास को लेकर असमंजस और चिंता की स्थिति बन गई है। ग्रामवासियों ने शिकायत की है कि SECL द्वारा उनकी जमीन तो अधिग्रहीत कर ली गई है, लेकिन अब तक उन्हें यह नहीं बताया गया है कि उनकी बसावट कहाँ की जाएगी। ग्राम पार्षद श्रीमती अमिला पटेल के प्रतिनिधि श्री राकेश पटेल ने इस मुद्दे को गंभीरता से उठाया और SECL गेवरा प्रबंधन से गंगानगर व वैशालीनगर जैसे क्षेत्रों में पुनर्वास की मांग की है। यह प्रस्ताव आज ग्राम नराईबोध में हुई बैठक में उपस्थित सभी ग्रामीणों के समक्ष रखा गया। बैठक के दौरान जब ग्रामीणों से इस प्रस्ताव पर उनकी राय पूछी गई, तो अधिकांश ग्रामवासियों ने गंगानगर और वैशालीनगर को पुनर्वास स्थल के रूप में स्वीकार करने पर सहमति जताई।
SECL और प्रशासन को 10 दिन का अल्टीमेटम
बैठक में यह सामूहिक निर्णय लिया गया कि SECL गेवरा परियोजना के जी.एम., क्षेत्रीय विधायक प्रेमचंद पटेल, एस.डी.एम., और संबंधित पटवारियों को ग्राम नराईबोध में आमंत्रित किया जाए और समस्याओं का समाधान तत्काल किया जाए। यदि 10 दिनों के भीतर यह बैठक आयोजित नहीं होती है, तो ग्रामवासी SECL गेवरा खदान में अनिश्चितकालीन हड़ताल करेंगे।
ग्रामीणों का कहना है कि अब वे और अन्याय सहन नहीं करेंगे और अपने अधिकारों के लिए लोकतांत्रिक तरीके से संघर्ष करेंगे।