कोरबा (छत्तीसगढ़ राज्य ब्यूरो चीफ : ओम प्रकाश पटेल)। जिला अस्पताल में इलाज के लिए आने वाले मरीजों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। खासकर बीपी और शुगर जांच के लिए अस्पताल आने वाले मरीजों को घंटों लंबी लाइन में खड़ा रहना पड़ता है, क्योंकि संबंधित विभाग में केवल एक ही स्टाफ काम कर रहा है।
मामला यह है कि बीपी और शुगर जांच की प्रक्रिया के लिए अस्पताल में पर्याप्त स्टाफ नहीं है। ऐसे में मरीजों को लंबे समय तक इंतजार करना पड़ता है। कई मरीज ऐसे हैं जो लकवा ग्रस्त हैं या जिनकी हालत स्थिर नहीं होती, फिर भी उन्हें लाइन में खड़ा रहना पड़ता है। स्थिति इतनी गंभीर है कि जांच कराने के बाद भी वे समय पर डॉक्टर से नहीं मिल पाते और उन्हें बिना इलाज के ही लौटना पड़ता है।
डॉक्टरों की उपलब्धता का समय भी सीमित है, ऐसे में देरी से पहुंचे मरीजों को बिना परामर्श के लौटना पड़ता है। इससे मरीजों में भारी आक्रोश है। एक मरीज ने नाराजगी जताते हुए कहा, "अगर हमारे पास पैसे होते तो हम निजी अस्पताल चले जाते। सरकारी अस्पताल से हमें राहत नहीं, केवल परेशानी मिल रही है।"
गौरतलब है कि कोरबा जिला अस्पताल अब एक मेडिकल कॉलेज के रूप में विकसित हो रहा है, लेकिन सुविधाएं आज भी न के बराबर हैं। बार-बार स्टाफ को अन्य कामों में भी लगाया जाता है, जिससे मरीजों की जांच बाधित होती है।
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि आम आदमी हर वस्तु पर टैक्स और जीएसटी चुका रहा है, जिससे देश की अर्थव्यवस्था बढ़ रही है, लेकिन सरकारी अस्पतालों की हालत जस की तस बनी हुई है।