SECL कुसमुंडा खदान में आज गुरुवार को स्थानीय ग्रामीणों द्वारा ज़ोरदार हड़ताल की गई। बैल्ट लाइन चौक क्षेत्र में जुटे 20 से 25 ग्रामीणों की मुख्य मांग है कि या तो उन्हें उनकी अधिग्रहित ज़मीन वापस दी जाए या फिर SECL में नौकरी प्रदान की जाए।
प्रदर्शन में लंबोदर श्याम, गोमती कैवर्त, मिना बाई कंवर, विजय कुमार पटेल, विष्णु लाल, हरिशरण यादव, नारायण प्रसाद यादव, परदेशी कौशिक, हेमंत साहू, बसंती बाई, तीकईत राम, कमलेश्वरी कश्यप, अनिल कुमार बिंझवार सहित कई अन्य स्थानीय ग्रामीणों ने भाग लिया।
30-40 वर्षों से न्याय की प्रतीक्षा
हड़ताल में शामिल ग्रामीणों का कहना है कि SECL कुसमुंडा द्वारा उन्हें बीते तीन-चार दशकों से केवल झूठे आश्वासन ही दिए जा रहे हैं, लेकिन आज तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। उनका आरोप है कि जमीन लेने के बाद न तो उन्हें मुआवज़ा मिला, न ही वादे के अनुसार नौकरी।
जरहाजेल और दुर्पा गांवों के मामले का हवाला
प्रदर्शनकारियों ने बताया कि जरहाजेल और दुर्पा गांव से जब लोगों को हटाया गया था, तब SECL ने हर ज़मीन पर्ची पर नौकरी देने का वादा किया था। लेकिन आज तक उन प्रभावित परिवारों को भी रोजगार नहीं मिला है।
प्रशासनिक उदासीनता पर आक्रोश
गौर करने योग्य बात यह है कि अब तक SECL का कोई भी अधिकारी मौके पर पहुंचकर प्रदर्शनकारियों से बातचीत करने नहीं आया है। और न ही मीडिया के सामने आकर जवाब दे रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि जब वे सवाल करने जाते हैं, तो उन्हें PRO (जनसंपर्क अधिकारी) के पास भेज दिया जाता है। जब PRO से बात करने की कोशिश करते हैं तो उन्हें कहा जाता है कि "बिलासपुर हेड ऑफिस जाओ"।
प्रदर्शनकारियों की चेतावनी
हड़ताल कर रहे लोगों ने चेतावनी दी है कि यदि शीघ्र कोई समाधान नहीं निकाला गया, तो आंदोलन को और उग्र रूप दिया जाएगा। प्रदर्शन शांतिपूर्ण ढंग से जारी है, लेकिन स्थानीय प्रशासन और SECL की चुप्पी से लोगों में नाराजगी बढ़ रही है।