कोरबा/ बांकी मोंगरा (CG ई खबर | प्रमुख संपादक : ओम प्रकाश पटेल) : वार्ड क्रमांक 23 के पार्षद और बीजेपी नेता दिलीप दाश पर एक के बाद एक गंभीर आरोप लग रहे हैं। हाल ही में गेवरा बस्ती वार्ड क्रमांक 25 में सीसी रोड निर्माण में घटिया सामग्री और तय मानकों की अनदेखी का आरोप दिलीप दाश पर लगा, जहां मजदूरों ने उन्हें ठेकेदार बताया। सड़क की मोटाई कहीं 2, कहीं 3 तो कहीं 5 इंच पाई गई, और वाइब्रेटर मशीन का इस्तेमाल भी नहीं किया गया।
अब एक नया मामला सामने आया है, जिसमें आदर्श नगर कुसमुण्डा निवासी सुनिता अग्रवाल ने गंभीर आरोप लगाते हुए पुलिस को लिखित शिकायत दी है कि दिलीप दाश ने उनके बेटे विनय अग्रवाल को जान से मारने की धमकी दी है और उनकी बहू सुमन अग्रवाल के साथ मिलकर घर से सोना गायब किया है।
शिकायत के अनुसार, सुनिता अग्रवाल ने बताया कि उनके बेटे और बहू के रिश्ते पिछले कुछ महीनों से बिगड़ रहे थे। उन्हें शक था कि बहू सुमन का नज़दीकी संबंध पार्षद दिलीप दाश से है। 22 मई 2025 की रात करीब 1:30 बजे उन्होंने अपने घर में दिलीप दाश को देखा, जिसके बाद उनकी बहू ने धमकी दी कि अगर उन्होंने यह बात बेटे को बताई तो वह खुदकुशी कर लेगी।
सुनिता अग्रवाल का आरोप है कि बाद में घर के लॉकर से सोना गायब हो गया, और बेटे ने जब इस बारे में दिलीप दाश से पूछा तो उन्होंने धमकी दी — "तेरे को मरवा दूँगा।" वहीं, बहू सुमन ने भी साफ कह दिया कि वह पति के साथ नहीं रहना चाहती और तलाक के बदले 20 लाख रुपये की मांग की, अन्यथा पूरे परिवार को बर्बाद करने की धमकी दी।
शिकायतकर्ता ने कहा कि उनकी बहू एक महीने से घर नहीं लौटी है और फोन कॉल का जवाब नहीं दे रही। इस पूरे मामले में उन्हें और उनके परिवार को दिलीप दाश और सुमन अग्रवाल से जान का खतरा है। उन्होंने पुलिस से सुरक्षा और कड़ी कार्रवाई की मांग की है।
लगातार सामने आ रहे आरोपों के बाद बड़ा सवाल यह है —
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क्या दिलीप दाश को अब भी पीआईसी मेंबर के पद पर बनाए रखा जाएगा?
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क्या बीजेपी इन आरोपों के बाद उन्हें पार्टी से निष्कासित करेगी?
क्या इन सभी गंभीर मामलों के बाद दिलीप दास को जनप्रतिनिधि के रूप में बनाए रखना उचित है?
क्या उन्हें पार्षद के पद से तुरंत इस्तीफा नहीं देना चाहिए?
क्या जनता के विश्वास पर खरा उतरने के लिए सत्ताधारी दल और नगर पालिका व पुलिस इस मामले में निष्पक्ष जांच कर कार्रवाई करेगी?
जनता की निगाहें अब जिम्मेदार अधिकारियों और पार्टी नेतृत्व पर टिकी हैं, कि क्या वे भ्रष्टाचार और धमकी जैसे गंभीर आरोपों पर सख्त कदम उठाएंगे या मामले को अनदेखा करेंगे।