मुंबई। (CG ई खबर) : बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक कथित बांग्लादेशी नागरिक की जमानत याचिका खारिज करते हुए स्पष्ट किया कि आधार कार्ड, पैन कार्ड और वोटर आईडी जैसे पहचान पत्र मात्र से भारतीय नागरिकता सिद्ध नहीं होती। ये दस्तावेज सिर्फ पहचान और सरकारी योजनाओं का लाभ लेने के लिए हैं, न कि नागरिकता का अंतिम प्रमाण।
मामला ठाणे पुलिस में दर्ज एक प्रकरण से जुड़ा है, जिसमें आरोपी पर आरोप है कि उसने भारतीय अधिकारियों को गुमराह कर अवैध रूप से वोटर कार्ड, आधार कार्ड और पैन कार्ड बनवाए, साथ ही गैस व बिजली कनेक्शन भी धोखाधड़ी से प्राप्त किए।
जस्टिस ने नागरिकता अधिनियम 1955 का हवाला देते हुए कहा कि यह कानून ही तय करता है कि कौन भारतीय नागरिक है और किन परिस्थितियों में नागरिकता दी या समाप्त की जा सकती है। अदालत ने टिप्पणी की— “केवल पहचान पत्रों के अस्तित्व पर निर्भर रहना, उनकी प्राप्ति की प्रक्रिया के सत्यापन के बिना, नागरिकता का पर्याप्त प्रमाण नहीं है, खासकर जब दस्तावेजों की प्रामाणिकता जांच के अधीन हो।”