एसईसीएल कुसमुण्डा विस्तार परियोजना से प्रभावित भूविस्थापितों का आक्रोश अब सड़कों पर नजर आने लगा है। वर्षों से रोजगार की मांग कर रहे भूविस्थापितों ने आज दो दिवसीय धरना आंदोलन की शुरुआत करते हुए कुसमुण्डा स्थित जीएम कार्यालय के मुख्य द्वार पर तालाबंदी कर दी। विरोध इतना तीव्र था कि उन्होंने कार्यालय के बाहर ही भोजन पकाया, वहीं खाया और रात बिताने की तैयारी कर ली।
फर्जी भर्ती का आरोप, अफसरों से तीखी नोकझोंक
आंदोलनकारियों ने आरोप लगाया कि उनकी जमीन पर फर्जी नाम से बाहरी लोगों को नौकरी दे दी गई है। जब इस विषय में अफसरों से बात की गई तो दोनों पक्षों में जमकर बहस हुई। अधिकारियों ने जवाब में कहा कि एसईसीएल में भर्ती का मामला न्यायालय में लंबित है, और पूरे एसईसीएल क्षेत्र की यही स्थिति है — सिर्फ कुसमुण्डा की नहीं।
भूविस्थापित बोले- “22 वर्षों से संघर्ष कर रहे हैं”
गोमतीं केंवट समेत अन्य भूविस्थापित परिवारों का कहना है कि “हम पिछले 22 सालों से लगातार रोजगार के लिए प्रयास कर रहे हैं, लेकिन सिर्फ झूठा आश्वासन मिला। अधिकारी न जानकारी देते हैं, न आरटीआई का जवाब। उल्टा अफसरशाही दिखाते हुए जबरन जेल भेज दिया जाता है।”
आंदोलनकारियों का स्पष्ट कहना है कि यदि जल्द ही सभी योग्य परिवारजनों को रोजगार नहीं दिया गया तो खदान में कोयला उत्पादन को पूरी तरह ठप्प कर अनिश्चितकालीन हड़ताल की जाएगी।
जिम्मेदार अफसरों पर गंभीर आरोप
भूविस्थापितों ने सीधे तौर पर कुसमुण्डा मुख्य महाप्रबंधक सचिन तानाजी पाटिल, क्षेत्रीय कार्मिक प्रबंधक विरेंद्र कुमार, एवं सेफ्टी अधिकारी भास्कर को जिम्मेदार ठहराया। आरोप है कि इन्हीं अधिकारियों ने वर्षों से झूठे वादे कर भूविस्थापितों के भविष्य से खिलवाड़ किया है।