कोरबा (CG ई खबर): भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठतम आदिवासी नेता और पूर्व गृहमंत्री ननकी राम कंवर एक बार फिर उपेक्षा के शिकार बने। शुक्रवार को कोरबा कलेक्ट्रेट में मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की अध्यक्षता में आयोजित मध्य क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण की बैठक में प्रदेश के लगभग सभी मंत्री मौजूद रहे, लेकिन जिले के इस वरिष्ठतम आदिवासी चेहरे को न तो बैठक के लिए बुलावा दिया गया और न ही मुख्यमंत्री के स्वागत-अभिनंदन के लिए संगठन की ओर से आमंत्रण दिया गया।
बिन बुलाए मेहमान कैसे जाते?
ननकी राम कंवर ने खुद स्वीकार किया कि उन्हें बैठक से संबंधित किसी भी तरह की सूचना नहीं मिली। यहां तक कि हेलीपैड पर मुख्यमंत्री की अगवानी करने के लिए भी आमंत्रण नहीं दिया गया। उनका कहना था – "जब किसी भी स्तर पर बुलावा ही नहीं आया तो मैं बिन बुलाए मेहमान की तरह कैसे जा सकता हूं?"
संगठन की रणनीति पर उठे सवाल
घटना को लेकर समर्थकों में नाराजगी है। कई वरिष्ठ कार्यकर्ताओं का मानना है कि यदि जिला प्रशासन ने आमंत्रण नहीं भेजा तो संगठन को पहल करनी चाहिए थी। आरोप यह भी है कि रामपुर विधानसभा में भीतरघात करने वाले लोगों को संगठन तरजीह दे रहा है, जबकि वर्षों से राजनीति में सक्रिय और आदिवासी समाज की मुखर आवाज रहे ननकीराम को हाशिए पर डाला जा रहा है।
क्या बेबाक मुखरता से डर?
सवाल यह भी उठ रहा है कि क्या उनकी बेबाक और निर्भीक राजनीतिक शैली से संगठन असहज है? चर्चाएं हैं कि रणनीति के तहत उन्हें उपेक्षित कर कमजोर करने की कोशिश की जा रही है।
कांग्रेस सरकार में मिला था सम्मान
समर्थकों ने यह उदाहरण भी दिया कि कांग्रेस सरकार में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जब रामपुर विधानसभा क्षेत्र के चिर्रा पहुंचे थे और मंच पर ननकी राम कंवर को न देखकर नाराज हुए थे, तब उन्होंने अधिकारियों को तत्काल बुलावा भेजने निर्देश दिए थे। इसके बाद कंवर कार्यक्रम में पहुंचे थे।
निष्कर्ष
वरिष्ठ नेताओं का मार्गदर्शन किसी भी संगठन की मजबूती का आधार होता है। ऐसे में ननकी राम कंवर जैसे पुराने और प्रभावशाली नेता की लगातार हो रही उपेक्षा से पार्टी कार्यकर्ताओं में असंतोष और संगठन में फूट के संकेत स्पष्ट नजर आने लगे हैं।