[ CG. ई ख़बर - विजय चौहान - बिलासपुर संभाग ब्यूरो चीफ़ ]
कोरबा। भीम आर्मी कोरबा इकाई द्वारा आयोजित जनजागरण सभा में जिला प्रभारी ने युवाओं को संबोधित करते हुए कहा कि डॉ. भीमराव अम्बेडकर केवल एक नाम नहीं, बल्कि एक कर्तव्य और संघर्ष का प्रतीक हैं। उन्होंने कहा कि अम्बेडकर का आंदोलन किसी वर्ग तक सीमित नहीं था, बल्कि अन्याय, भेदभाव, अज्ञानता और भय के खिलाफ चलने वाली सार्वभौमिक लड़ाई थी, जो आज भी जारी है।
उन्होंने बाबासाहेब के उस संदेश को याद कराया—
“जो समाज अपनी जंजीरों को पहचान नहीं पाता, वह उन्हें कभी तोड़ नहीं सकता।”
साथ ही युवाओं से सामाजिक बुराइयों को समझने और उनके खिलाफ खड़े होने की अपील की।
“भीम आर्मी होना सिर्फ झंडा उठाना नहीं”
सभा में वक्ताओं ने कहा कि भीम आर्मी का सदस्य होना केवल संगठन का हिस्सा बनना नहीं, बल्कि साहस, समानता और न्याय की जिम्मेदारी उठाना है।
एक कार्यकर्ता ने कहा,
“भीम आर्मी होना एक जिम्मेदारी है—गलत को गलत कहना, डर के आगे न झुकना और हर इंसान को बराबरी का हक दिलाना हमारा उद्देश्य है।”
उन्होंने स्पष्ट किया कि संगठन का लक्ष्य राजनीतिक लाभ नहीं, बल्कि समाज में वास्तविक बदलाव लाना है।
जिले की चुनौतियाँ भी उठीं मुद्दे में
सभा में कोरबा जिले की प्रमुख समस्याओं पर भी चिंता जताई गई—
- शिक्षा से वंचित बच्चे
- सम्मान और सुरक्षा को तरसती महिलाएँ
- हक से वंचित गरीब आबादी
भीम आर्मी ने कहा कि जब तक ये समस्याएँ कायम रहेंगी, उनका संघर्ष जारी रहेगा।
बाबासाहेब की चेतावनी आज भी प्रासंगिक
वक्ताओं ने डॉ. अम्बेडकर की चेतावनी को दोहराते हुए कहा—
“जाति खत्म नहीं हुई तो आज़ादी अधूरी ही रहेगी।”
उन्होंने कहा कि आज भी समाज इन्हीं चुनौतियों से लड़ रहा है और जागरूकता बेहद जरूरी है।
युवाओं और सदस्यों से विशेष अपील
संगठन ने अपने सदस्यों से कहा कि वे अम्बेडकर के सिर्फ भक्त नहीं, बल्कि विचारों के योद्धा बनें—
उनकी पहचान कपड़ों या झंडों से नहीं, बल्कि सोच, कार्य और साहस से होनी चाहिए।
कार्यक्रम का अंतिम संदेश
जनसभा का समापन बाबासाहेब के प्रेरक वाक्य के साथ हुआ—
“जिस दिन हम सच में जाग गए, उस दिन समाज क्या—पूरी दुनिया हमारे पीछे चलेगी।”
यदि चाहें तो मैं इसका यूट्यूब टाइटल, डिस्क्रिप्शन और टैग्स भी तैयार कर दूँ।


Jay bhim jay sawidhan
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